
*राजस्थान में धर्मान्तरण रोधी कानून का स्वागत करते हुए विहिप ने की बांग्लादेश में हो रहे हिंदूओं पर अत्याचारों पर विराम की मांग*
भरतपुर (राजस्थान)/ 07 दिसंबर 2024:: राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट की मीटिंग में नए धर्मांतरण कानून के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. धर्मांतरण बिल के कानून बनने के बाद प्रदेश में लव जिहाद और जबरन और बहला-फुसला कर किए गए धर्म परिवर्तन पर कठोर सजा दी जाएगी. इस कानून के तहत जबरन धर्मांतरण पर 10 साल तक की जेल की सजा होगी. मंत्री ने बताया कि मर्जी से धर्म परिवर्तन करने पर 60 दिन पहले कलेक्टर को सूचना देनी होगी.
राजस्थान सरकार के अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने के निर्णय का स्वागत करते हुए विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेंद्र जैन ने भरतपुर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि महाराणा प्रताप और महाराजा सूरजमल जैसे धर्मवीरों की धरती पर धर्मांतरण के षड्यंत्र राजस्थान के समाज को वर्षों से उद्वेलित कर रहे थे। समाज की मांग को और आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार ने धर्मांतरण को रोकने का जो निर्णय लिया है वह आज के समय की मांग है।
धर्मांतरण के द्वारा केवल आस्थाओं पर चोट ही नहीं की जाती है अपितु अपने महान हिंदू धर्म को अपमानित भी किया जाता है। धर्मांतरण के कारण हुए जनसंख्या असंतुलन के कारण ही भारत का विभाजन हुआ था और स्वतंत्रता के बाद हिंदू समाज पर अनेक प्रकार के अत्याचार हुए थे। अब सरकार के साथ समाज भी सशक्त रूप से खड़ा हो गया है। इसलिए उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि अब राजस्थान की पावन धरती से धर्मांतरण और लव जिहाद का पाप हमेशा के लिए मुक्त हो जाएगा।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर जिस प्रकार के अत्याचार हो रहे हैं वे हिंदुओं के नरसंहार की दिशा में जाते हुए दिखाई देते है। आज वहां पर हिंदू समाज का सफाया करने का षड्यंत्र किया जा रहा है। जैसी स्थिति सभी मुस्लिम बहुल देशों में या क्षेत्रों में मुस्लिम समाज वहां के अल्पसंख्यकों के साथ करता है वही दृश्य आज बांग्लादेश में दिखाई दे रहे हैं। जनसंख्या असंतुलन के क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं बांग्लादेश का दृश्य इसको बताने के लिए पर्याप्त है। दुर्भाग्य है कि भारत के वे सेकुलर और मुस्लिम नेता, जो मुस्लिम समाज के ऊपर हुए किसी कथित छोटे-मोटे हमले पर भी आसमान सर पर उठा लेता है , हिंदू समाज पर हो रहे इन भीषण अत्याचारों पर मौन क्यों है? संपूर्ण देश के हिंदू समाज ने बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के साथ अपनी एक जुटता दिखाई हैm राजस्थान में भी जिस प्रकार के विरोध प्रदर्शन यहां के समाज ने किए हैं वे प्रशंसा के पात्र हैं। इससे स्पष्ट हो गया है की राजस्थान का हिंदू समाज अब हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और धर्मांतरण के षडयंत्रों को किसी भी कीमत पर स्वीकार करने को तैयार नहीं है। इसलिए विश्व हिंदू परिषद धर्मांतरण करने वाली सभी जिहादी और मिशनरी संस्थाओं को चेतावनी देता है कि वे अपने आप को अपनी पूजा पाठ तक सीमित रखें। हिंदुओं पर अत्याचार या धर्मांतरण का कोई षड्यंत्र अब राजस्थान की धरती पर संभव नहीं है।
अजमेर की दरगाह शरीफ का विषय न्यायालय के समक्ष है ।वहां के बारे में इतिहास तथा समाज के कई वर्गों ने बार-बार वहां पर जैन या अन्य मंदिर होने के कई बार सबूत प्रस्तुत किए हैं। निर्णय न्यायपालिका को करना है और उनके निर्णय की प्रतीक्षा करनी चाहिए। उनके निर्णय आने से पहले ही जिस प्रकार के धमकी भरे बयान कई खादिमों के द्वारा दिए गए वह उनकी जिहादी मानसिकता के ही प्रतीक है जो बार-बार प्रकट होती है। सब जानते हैं कि वहां जाने वालों में अधिकांश हिंदू है ।वही सबसे अधिक चढ़ावा चढ़ाते हैं। हिंदू के चढ़ावों पर पलने वाले खादिम और चिश्ती यदि हिंदू समाज को चुनौती देने वाले या “सर तन से जुदा करने” वाले बयान देंगे तो इससे यह एकदम स्पष्ट हो जाता है कि वे अपने आप को मोहम्मद गौरी जैसे आक्रमणकारियों के साथ ही जोड़कर देखते हैं। यह स्थिति कभी स्वीकार्य नहीं हो सकती। विश्व हिंदू परिषद राजस्थान सरकार से अपील करती है कि वे उनके बयानों का अध्ययन करें और आपत्तिजनक बयानों पर कठोरता कार्यवाही करें जिससे कोई हिंदू समाज को दबाने के लिए मुस्लिम समाज को भड़काने का प्रयास कोई मुल्ला मौलवी न कर सके।
भरतपुर के नजदीक लगने वाले मेवात में हिंदुओं पर जिस प्रकार की अत्याचार होते हैं और गौ हत्याएं होती है उन पर चिंता व्यक्त करते हुए डॉक्टर सुरेंद्र जैन ने कहा की मेवात भगवान कृष्ण की क्रीड़ास्थली है। इतिहास, पुराण और वहां पर उपस्थित साक्ष्य इस बात को सिद्ध करते हैं कि इस धरती पर हिंदू संस्कृति हमेशा पुष्पित पल्लवित हुई है। इस क्षेत्र में रहने वाले मुस्लिम समाज को किन्हीं कारणों से अपना धर्म परिवर्तन करना पड़ा होगा। उनके पूर्वज भी मूल रूप से हिंदू ही थे ।
इसलिए उन्हें वे सब अत्याचार, जो उनके पूर्वजों पर मुस्लिम आक्रांताओं ने किए थे, आज के हिंदू समाज पर करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। सह अस्तित्व की भावना, साथ में मिलकर रहने और काम करने की भावना, उनको विकसित करनी चाहिए और हिंदू विरोधी, राष्ट्र विरोधी षडयंत्रों से अपने आप को मुक्त करना चाहिए। इन षडयंत्रों को किसी भी प्रकार से स्वीकार नहीं किया जा सकता।
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